Tue , Sep 30 2025
माँ सिद्धिदात्री के बारे में:माँ दुर्गा का यह नवम स्वरूप है।
"सिद्धिदात्री" का अर्थ होता है – सिद्धियाँ देने वाली देवी।
ये अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती हैं, जैसे: अनिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व।इनकी पूजा से भक्त को सर्वोच्च ज्ञान, आध्यात्मिक शक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
माँ सिद्धिदात्री की चार भुजाएँ होती हैं।
उनके हाथों में गदा, चक्र, शंख और कमल होता है।ये कमल पर विराजमान होती हैं और इनका वाहन सिंह या सिंह के साथ रथ होता है।
पूजा का महत्व:
नवमी को विशेष रूप से कन्या पूजन भी किया जाता है।
इस दिन देवी के नौ रूपों की पूजा सम्पन्न होती है और साधक को सिद्धि प्राप्त होती है।
पूजा विधि: सभी नौ देवियों को स्मरण कर माँ सिद्धिदात्री की पूजा करें।
भोग: तिल और सफेद हलवा – सभी सिद्धियों और इच्छाओं की पूर्ति के लिए।
👧 कन्या पूजन विधि (नवमी विशेष)
🧒 आवश्यक सामग्री:9 कन्याएँ (2 से 10 वर्ष तक की उम्र की) – 9 देवियों का प्रतीक
1 लंगूर (छोटा लड़का) – हनुमान का प्रतीक भोजन: पूड़ी, चने, हलवा (भोग)
चुनरी, बिंदी, काजल, फूल, मिठाई, दक्षिणा
🙏 कन्या पूजन विधि:
कन्याओं को आदरपूर्वक आमंत्रित करें और उनके पैर धोएं (माँ का स्वरूप मानकर)उन्हें आसन पर बैठाकर तिलक, बिंदी, काजल लगाएं।
चुनरी या कोई वस्त्र भेंट करें (यदि संभव हो)।उन्हें भोजन कराएं – हलवा, पूड़ी, चना।भोजन के बाद दक्षिणा और मिठाई भेंट करें।अंत में उनसे आशीर्वाद लें – यही देवी की कृपा का प्रतीक होता है।
यदि आप चाहें तो मैं इन मंत्रों या आरती का टेक्स्ट भी दे सकता हूँ। पूजा को श्रद्धा और सादगी से करें यही सबसे महत्वपूर्ण है।
माँ
माँ सिद्धिदात्री उन सभी को सिद्धि देती हैं जो सच्चे मन से उनकी सेवा करते हैं — चाहे वे गन्धर्व हों, यक्ष हों, असुर हों या देवता।
🪔 माँ सिद्धिदात्री पूजा मंत्र (नमस्कार मंत्र):
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
इसे जपते हुए माँ को पुष्प, अक्षत, धूप-दीप आदि अर्पित करें।
🔱 माँ सिद्धिदात्री की आरती (संक्षिप्त):
जय सिद्धिदात्री माँ, जय जय अम्बे।
सब जगत पालक तू, दया कर मुझ पर अब्बे॥
तेरी महिमा का पार न कोई,
तू पालन करे जननी होई॥
जो भी शरण तेरी आए,
कभी खाली हाथ न जाए॥
धूप दीप नवै तेरे आगे,
श्रद्धा सुमन अर्पूं मैं लागे॥
माँ के चरणों में जो आए,
सुख सम्पत्ति सदा वो पाए॥
जय सिद्धिदात्री माँ, जय जय अम्बे।
सब जगत पालक तू, दया कर मुझ पर अब्बे॥
आप इस आरती को पूजा के अंत में दीप जलाकर गा सकते हैं। अगर आप चाहें तो मैं इसे PDF या प्रिंट करने योग्य रूप में भी तैयार कर सकता हूँ।
याद रखें:
पूजा में भाव और श्रद्धा सबसे जरूरी है। विधि-विधान महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मन की शुद्धता और भक्ति सबसे बड़ा नियम है।
यदि आपको पूजा की सूची (चेकलिस्ट) या PDF फॉर्मेट में सब कुछ चाहिए, तो बताइए — मैं बना दूँ।
Get smarter responses, upload files and images, and more.
Log in
Sign up for free
Leave a Reply