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पिता (short heart touching poem for father )

Ajay Patel

Tue , Nov 28 2023

Ajay Patel

पिता

एक छत जिसके अक्स में महफूज हम,

जिसके होने से हो मुझसे दूर सारे ग़म,

जिसने उंगली पकड़कर चलना सिखाया,

जिस आंगन में मैंने जीवन बिताया,

गुरूर है मुझे मेरे सिर पर है पिता का साया,

कांधे पर बिठाकर तेरा घुमाना,

गोद में उठाकर तेरा जगाना,

जब छूटेगा पीहर याद आएगा वो जमाना,

क्षण भर आंखों से ओझल होने पर

वो पूछता मेरा हाल बार-बार है,

एक दिन दहलीज पार करा देगा,

ये कैसा पिता का किरदार है।

करे न कभी खुद से दूर मुझे,

बस दस्तूर जमाने का मजबूर कर देता है,

थब भी कोई ख्वाहिश अधूरी मेरी,

चेहरे को बेनूर कर देता है,

पूरी करके वो ख्वाहिश,

उदासी दूर कर देता है।

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