Wed , Oct 02 2024
परछाई के साथ साथ,
तक़दीर भी हाथ थामे चलती है!
लुका-चुप्पी परछाई ही नहीं तक़दीर भी खेला करती है!
नमन करते हैं अपनी तक़दीर को,
उसी के आदेश पर चलना पड़ता है,
पर कर्मों का प्रभाव कुछ ऐसा है!
जो तक़दीर को बदल सकता है!
तक़दीर की चुनौती करते हैं स्वीकार
उसके चुने राह पर हैं चलने तैयार,
कर्मों के तूफ़ान का ऐसा मौसम लाएँगे
तक़दीर की रेखाओं का रास्ता,
हम अपने कर्मों से सजाएँगे।
~्राधे राधे~
@lifedb_official
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