Mon , Apr 14 2025
तुम आओ तो किश्त-ए-वीराँ में फ़स्ल-ए-बहार का बुवार हो
फिर से दूधिया दरिया के किनारे तेरा साया उस्तुवार हो
तुम आओ तो बे-लचक खुश्क दरिया पे सियाह अब्र का फुवार हो
फिर से मेरे आँगन में चौदवीं के चाँद का दर-ओ-दुवार हो
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