Mon , Jun 09 2025
हम सोचते हैं कि हम दिमाग से सोचते हैं, पर ज़्यादातर हमारी भावनाएं, हमारी सोच से पहले फैसला कर चुकी होती है। )
गुस्से में छोड़ी नौकरी,
डर में तोड़ा रिश्ता,
ये सब भावनाओं की गुलामी के उदाहरण हैं।
"जो अपनी भावनाओं को नहीं समझता, वो दूसरों के इशारे पर नाचता हे।" खुद को एक कदम पीछे खींचो। Observe करो कि तुम्हारे रिएकशन सच्चे है या तात्कालिक।
अब्राहम लिकन जब किसी पर गुस्सा होते तो एक कड़वी चिट्ठी लिखते और फिर उसे भेजने के बजाय जला देते।
' उन्होंने सीखा थाः "गुस्सा दिखाना बहादुरी नहीं, गुस्से पर नियंत्रण समझदारी है।"
हर भावनात्मक रिएक्शन से पहले:
1. 5 सेकंड रुकिए
2. गहरी सॉस लीजिए .
3. अपने आप से पूछिए: "क्या मैं सोच रहा हु या बह रहा हू?"
यही है भावनात्मक अनुशासन: Rule #1 की जड़।
अगर आप भावनाओं को कंट्रोल नहीं करते, तो कोई और करेगा। सोशल मीडिया, समाज, डर या लालच सब आपके मन को हाइजैक कर लेगे।
जो अपने मन को पढ़ना सीख गया, वो दूसरों के इरादे भी समझ लेता है।
Rule #1 सिखाता है, जो खुद पर शासन करता है, वही दुनिया पर भी कर सकता है।
आपने कभी ऐसा कोई फैसला लिया जो सिर्फ भावनाओं में बहकर लिया गया हो? और आज उसका पछतावा है? तो कॉमेंट में शेयर कीजिए, शायद किसी और की ऑखें खुल जाएं।
I am a full time software developer but sometimes I like to write my travel blogs and some knowledgeable thoughts and contents. According to me, LifeDB is the best website to share anything.
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