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The 48 Laws of Power अब हिदी में | शक्ति के 48 नियम | part -9

Ajay Patel

Wed , May 21 2025

Ajay Patel

शक्ति का नौवां 

नियम 

बहस से नहीं, अपने 

कामों से जीते" 

ये नियम सिखाता है कि दलीलें सुनने में अच्छी लगती हैं, लेकिन दुनिया शब्दों से नहीं, नतीजों से प्रभावित होती है।

भूमिका

हममें से बहुत से लोग अपनी बात को समझाने के लिए बहस में उतर जाते हैं। लेकिन सच्चाई ये है कि लोगों की राय बहस से नहीं बदलती, वो तब बदलती है जब आप उन्हें कर के दिखाते हैं। इसलिए, Rule #9 कहता है:

"जितना व्यर्थ बोलोगे, उतना कमजोर पड़ोगे। जितना करोगे, उतना असर छोड़ोगे।" 


आसान शब्दों में समझो

बहस में लोग भावुक हो जाते हैं। उनकी ego चोट खा जाती है। और जब ego आ जाती है, तो वो आपकी बात को मानते नहीं बल्कि बदला लेने की सोचने लगते हैं। लेकिन अगर आप चुपचाप कुछ ऐसा कर दो जो उनकी सोच को हिला दे तो बहस की जरूरत नहॉ पड़ती।

कम बोलो, ज्यादा कर दो। 

व्यक्तिगत उदाहरण 

1.दोस्ती या रिश्ते में:

अगर कोई आपकी नीयत पर शक करे, तो सफाई देने से बेहतर है ऐसा व्यवहार करो कि खुद शर्मिंदा हो जाए

2. ऑफिस या करियर में:

बहस में जीतने से कोई प्रमोशन नहीं मिलता। काम करके, डेडलाइन पूरी करके, बिना बोले साबित करना, यही असली जवाब होता है।

"Lifedb" भी यही करता है - हर दिन बोलने से ज्यादा दिखाने में विश्वास रखता है। 

इतिहास से उदाहरण

1. सचिन तेंदुलकर :

जब टेनिस एल्बो नाम की चोट के बाद सचिन लंबे समय तक क्रिकेट से बाहर रहे। तो मीडिया, आलोचक और यहां तक कि कई फैंस भी कहने लगे "अब सचिन का समय गया, वो अब पुराना हो गया खत्म हो गया" पर सचिन ने कोई बहस नहीं की। 2007 के बाद उन्होंने लगातार सेंचुरीज़ मारी, 2010 में वनडे क्रिकेट में डबल सेंचुरी बनाया, और 2011 में वर्ल्ड कप जीत कर हर आलोचना का जवाब दे दिया बिना एक शब्द बोले । 

2. नीरज चोपड़ा :

टोक्यो ओलंपिक से पहले तक उन्हें इंटरनेशनल स्तर पर बहुत कम जाना जाता था। पर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया, कोई प्चार नहीं किया, बस एक भाला फेंका और दुनिया को भारत का नाम याद करा दिया। 

"Lifedb" यही कहता है -

बहस मत करो बल्कि कुछ ऐसा करके दिखाओ कि सबकी जुबान बंद हो जाए। 

कब न बोलना बेहतर है?

जब सामने वाला सुनने को तैयार ही नहीं। जब बहस रिश्ते तोड़ सकती है। जब समय कम है और काम बहुत। सिर्फ एक मुस्कान, एक परिणाम, एक काम और पूरी दुनिया समझ जाती कि आप क्या कहना चाहते थे। 

आत्मनिरीक्षण

क्या आप बार-बार सफाईं देकर थक गए हैं? क्या आप किसी को अपनी अहमियत समझाने की कोशिश कर रहे हो? अब से कहिए कम, और कीजिए ज्यादा। 

Rule 10 चाहिए? तो इस पोस्ट को 3 दोस्तों से शेयर करो और कमेट करो: इस नियम ने आपको क्या सिखाया? क्या कभी किसी बहस से कुछ नहीं निकला और बाद में चुपचाप करके दिखाया?

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