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Maharishi Valmiki Jayanti 2023: रामायण के रचयिता से पहले एक डाकू थे महर्षि वाल्मीकि, जानें कैसे की महाकाव्य की रचना

Ajay Patel

Fri , Oct 27 2023

Ajay Patel

Valmiki Jayanti 2023: 

आज पूरे देश में वाल्मीकि जयंती मनाई जा रही है। महर्षि वाल्मिकी ने आदि काव्‍य रामायण की रचना की है और संस्कृत का पहला श्लोक लिखा। इनके जन्‍म दिवस को पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्‍लास के साथ मनाया जाता है। रामायण की रचियता से पहले वाल्‍मीकि एक डाकू थे। लेकिन उनके जीवन की एक घटना ने उन्हें बदल दिया। आइए जानते हैं कि आखिर एक डाकू कैसे बना महर्षि वाल्मीकि।


जानें कौन थे म‍हर्षि वाल्‍मीकि ?

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर महर्षि वाल्मीकि  का  जन्म हुआ था। इनके भाई का नाम भृगु था। कहा जाता है कि वाल्मीकि को बचपन में ही एक भीलनी ने चुरा लिया था। इसके बाद से उनका लालन-पोषण उसी भीलनी ने किया और वाल्मीकि डाकू बन गए। इनका नाम पहले रत्नाकर था। रत्नाकर हमेशा जंगल से गुजरने वाले लोगों को लूटते थे। फिर एक दिन नारद मुनि जंगल से जा रहे थे तभी रत्नाकर की नजर नारद मुनि पर और उन्होंने उन्हें बंदी बना लिया।

नारद मुनि ने रत्नाकर से सवाल किया कि वो ऐसा पाप क्यों कर रहे हैं। तब रत्नाकर ने कहा कि वह यह सब अपने परिवार के लिए कर रहा है। तब नारद जी ने उससे पूछा कि क्‍या तुम्‍हारा परिवार भी इन पापों का फल भोगेगा। तब रत्नाकर ने कहा कि हां, मेरा परिवार हमेशा मेरे साथ खड़ा रहेगा। तब नारद जी ने कहा कि एक बार जाकर अपने परिवार से पूछ लो। लेकिन जब रत्नाकर ने अपने परिवार से पूछा तो उन्होंने इंकार कर दिया जिससे वो बेहद दुखी हुए। इसके बाद रत्नाकर ने पाप का रास्ता छोड़ दिया।

फिर रत्नाकर ने नारद जी ने पूछा कि वो क्या करे। तब नारद जी ने कहा कि वो राम नाम जपें। रत्‍नाकर ने अज्ञानतावश राम नाम का जपते-जपते मरा-मरा का जाप करने लगे। फिर धीरे-धीरे यह राम-राम में बदल गया। कथाओं के अनुसार, रत्नाकर ने कई वर्षों तक तपस्या की। इस कठोर तपस्या के चलते रत्नाकर के शरीर पर चीटियों ने बाम्‍भी बना दी थी। इसके चलते ही रत्नाकर का नाम वाल्मीकि पड़ा। वाल्मीकि की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उन्‍हें ज्ञान का वरदान दिया। इसी प्रेरणा के चलते उन्होंने महाकाव्य रामायण की रचना की।

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